पहली चुदाई की प्यास (Chudai Story)

अपने ही ढंग से fashionable कपडे पहन-ना मेरा शौक़ है. और क्योंकी मैं मम्मी पापा की इकलौती बेटी हूँ इसलिए कीसी ने भी मुझे इस तरह के कपडे पहन-ने से नहीं रोका. School आने जाने के लिए मुझे एक ड्राइवर के साथ कार मीली हुई थी. वैसे तो मम्मी मुझे ड्राइव करने से मन करती थी, मगर मैं अक्सर ड्राइवर को घूमने के लिए भेज देती और खुद ही कार लेकर सैर करने निकल जाती थी.


School में पढने वाला एक लड़का मेरा दोस्त था. उसके पास एक अच्छी सी bike थी. मगर वो कभी कभी ही bike लेकर आता था, जब भी वो bike लेकर आता मैं उसके पीछे बैठ कर उसके साथ घूमने जाती. और जब उसके पास bike नहीं होती तो मैं उसके साथ कार में बैठ कर घूमने का अनद उठाती. ड्राइवर को मैंने पैसे देकर मना कर रख्खा था की घर पर मम्मी या पापा को ना बताये की मैं अकेली कार लेकर अपने दोस्त के साथ घूमने जाती हूँ. इस प्रकार उसे दोहरा फायदा होता था, कै ओर तो उसे पैसे भी मील जाते थे और दूसरी ओर उसे अकेले घूमने का मौका भी मील जाया कर्ता था. दो बजे School से छुट्टी के बाद अक्सर मैं अपने दोस्त के साथ निकल जाती थी और करीब ६-७ बजते बजते घर पहुंच जाती थी. एक प्रकार से मेरा घूमना भी हो जाता था और घर वालो को कुछ कहने का मौका भी नहीं मिलता था.

chudai ki kahani *** सेक्स स्टोरी हिंदी में *** हिंदी संभोग कहानी

मेरे दोस्त का नाम तो मैं बातन ही भूल गयी. उसका नाम अभिजीत है. अभिजीत को मैं मन ही मन प्यार करती थी और अभिजीत भी मुझसे प्यार कर्ता था, मगर ना तो मैंने कभी उससे प्यार का इजहार कीया और ना ही उसने. उसके साथ प्यार करने में मुझे कोई झीझक महसूस नहीं होती थी. मुझे याद है की प्यार की शुरुआत भी मैंने ही की थी जब हम दोनो bike में बैठ कर घूमने जा रहे थे. मैं पीछे बैठी हुई थी जब मैंने रोमांटिक बात करते हुए उसके गाल पर कीस कर लीया. ऐसा मैंने भावुक हो कर नहीं बल्की उसकी झीझक दूर करने के लिए किया था. वो इससे पहले प्यार की बात करने में भी बहुत झीझाकता था. एक बार उसकी झीझक दूर होने के बाद मुझे लगा की उसकी झिजहक दूर करके मैंने ठीक नहीं कीया. क्योंकी उसके बाद तो उसने मुझसे इतनी शरारत करनी शुरू कर दी की कभी तो मुझे मज़ा आ जाता था और कभी उस पर ग़ुस्सा. मगर कुल मीलाकर मुझे उसकी शरारत बहुत अच्छी लगती थी. उसकी इन्ही सब बातो के कारण मैं उसे पसंद करती थी और एक प्रकार से मैंने अपना तन मन उसके नाम कर दीया था.

एक दीन मैं उसके साथ कार में थी. कार वोही ड्राइव कर रह था. एकाएक एक सुनसान जगह देखकर उसने कार रोक दी और मेरी ओर देखते हुए बोला, “अच्छी जगह है ना ! चारो तरफ अँधेरा और पड पौधे हैं. मेरे ख़्याल से प्यार करने की इससे अच्छी जगह हो ही नहीं सकती.” यह कहते हुए उसने मेरे होंठो को चूमना चाहा तो मैं उससे दूर हटने लगी. उसने मुझे बाहों में कास लीया और मेरे होंठो को ज़ोर से अपने होंठो में दबाकर चूसना शुरू कर दीया. मैं जबरन उसके होंठो की गिरफ्त से आज़ाद हो कर बोली, “छोडो, मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है.” उसने मुझे छोड़ तो दीया मगर मेरी चूची पर अपना एक हाथ रख दीया. मैं समझ रही थी की आज इसका मन पूरी तरह रोमांटिक हो चुक्का है. मैंने कहा, “मैं तो उस दीन को रो रही हूँ जब मैंने तुम्हारे गाल पर कीस करके अपने लिए मुसीबत पैदा कर ली. ना मैं तुम्हे कीस करती और ना तुम इतना खुलते.” “तुमसे प्यार तो मैं काफी समय से कर्ता था. मगर उस दीन के बाद से मैं यह पूरी तरह जान गया की तुम भी मुझसे प्यार करती हो. वैसे एक बात कहों, तुम हो ही इतनी हसीं की तुम्हे प्यार किय बीना मेरा मन नहीं मान-ता है.”


वो मेरी चूची को दबाने लगा तो मैं बोली, “उम्म्म्म्म क्यों दबा रहे हो इसे? छोडो ना, मुझे कुछ कुछ होता है.” “क्या होता है?” वो और भी ज़ोर से दबाते हुए बोला, मैं क्या बोलती, ये तो मेरे मन की एक फीलींग थी जिसे शब्दो में कह पाना मेरे लिए मुश्कील था. इसे मैं केवल अनुभव कर रही थी. वो मेरी चूची को बदस्तूर मसलते दबाते हुए बोला, “बोलो ना क्या होता है?”


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मेरी प्यासी जवानी


“उम्म्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मेरी समझ में नहीं आ रह है की मैं इस फीलींग को कैसे व्यक्त करूं. बस समझ लो की कुछ हो रह है.”


वो मेरी चूची को पहले की तरह दबाता और मसलता रहा. फीर मेरे होंठो को कीस करने लगा. मैं उसके होंठो के चुम्बन से कीच कुछ गरमा होने लगी. जो मौका हमे संयोग से मीला था उसका फायदा उठाने के लिए मैं भी व्याकुल हो गयी. तभी उसने मेरे कपडो को उतारने का उपक्रम कीया. होंठ को मुकत कर दीया था. मैं उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराने लगी. ऐसा मैंने उसका हौंसला बढाने के लिए कीया था. ताकी उसे एहसास हो जाये की उसे मेरा support मील रहा है.


मेरी मुस्कराहट को देखकर उसके चहरे पर भी मुस्कराहट दिखाई देने लगी. वो आराम से मेरे कपडे उतारने लगा, पहले उसका हाथ मेरी चूची पर ही था सो वो मेरी चूची को ही नंगा करने लगा. मैं हौले से बोली, “मेरा विचार है की तुम्हे अपनी भावनाओं पर काबू करना चाहिऐ. प्यार की ऐसी दीवानगी अच्छी नहीं होती.”


उसने मेरे कुछ कपडे उतार दीये. फीर मेरी ब्रा खोलते हुए बोला, “तुम्हारी मस्त जवानी को देखकर अगर मैं अपने आप पर काबू पा लूं तो मेरे लीये ये एक अजूबे के समन होगा.”


मैंने मन में सोचा की अभी तुमने मेरी जवानी को देखा ही कहॉ है. जब देख लोगे तो पता नहीं क्या हाल होगा. मगर मैं केवल मुस्कुरायी. वो मेरे मम्मे को नंगा कर चुक्का था. दोनो चूचियों में ऐसा तनाव आ गया था उस वक़्त तक की उसके दोनो निप्प्ले अकड़ कर और ठोस हो गए थे. और सुई की त्तारह तन गए थे. वो एक पल देख कर ही इतना उत्तेजित हो गया था की उसने निप्प्ले समेट पूरी चूची को हथेली में समेटा और कास कास कर दबाने लगा. अब मैं भी उत्तेजित होने लगी थी. उसकी हर्कतो से मेरे अरमान भी मचलने लगे थे. मैंने उसके होंठो को कीस करने के बाद प्यार से कहा, “छोड़ दो ना मुझे. तुम दबा रहे हो तो मुझे गुदगुदी हो रही है. पता नहीं मेरी चूचियों में क्या हो रहा है की दोनो चूचियों में तनाव सा भरता जा रहा है. Please छोड़ दो, मत दबाओ.” वो मुस्कुरा कर बोला, “मेरे बदन के एक खास हिस्से में भी तो तनाव भर गया है. कहो तो उसे निकाल कर दिखाऊँ?”


मैं समझ नहीं पाई की वो किसकी बात कर रहा है. मगर एक एक वो अपनी पैंट उतारने लगा तो मैं समझ गयी और मेरे चहरे पर शर्म की लालओ फैल गयी. वो किसमें तनाव आने की बात कर रहा था उसे अब मैं पूरी तरह समझ गयी थी. मुझे शर्म का एहसास भी हो रहा था और एक प्रकार का रोमांच भी सारे बदन में अनुभव हो रहा था. मैं उसे मना करती रह गयी मगर उसने अपना काम करने से खुद को नहीं रोका, और अपनी पैंट उतार कर ही माना. जैसे ही उसने अपना अंडरवियर भी उतारा तो मैंने जल्दी से निगाह फेर ली.


वो मुझे गरम होता देख कर मेरे और करीब आ गया और मेरे निप्प्ले को सहलाने लगा. एक एक उसने निप्प्ले को चूमा तो मेरे बदन में ख़ून का दौरा तेज़ हो गया, और मैं उसके लंड के ऊपर तेज़ी से हाथ फिराने लगी. मेरे ऐसा करते हु उसने झट से मेरे निप्प्ले को मुँह में ले लीया और चूसने लगा. अब तो मैं पूरी मस्ती में आ गयी और उसके लंड पर बार बार हाथ फेर कर उसे सहलाने लगी. बहुत अच्चा लग रहा था, मोटे और लंबे गरम लंड पर हाथ फिराने में.


एक एक वो मेरे निप्प्ले को मुँह से निकाल कर बोला, “कैसा लग रहा है मेरे लंड पर हाथ फेरने में?”


मैं उसके सवाल को सुनकर शर्म गई. हाथ हटाना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर लंड पर ही दबा दीया और बोला, “तुम हाथ फेरती हो तो बहुत अच्चा लगता है, देखो ना, तुम्हारे द्वारा हाथ फेरने से और कीतना तन गया है.”


मुझसे रहा नहीं गया तो मैं मुस्कुरा कर बोली, “मुझे दिखाई कहां दे रहा है?”


“देखोगी ! ये लो.” कहते हुए वो मेरे बदन से दूर हो गया और अपनी क़मर को उठा कर मेरे चहरे के समीप कीया तो उसका मोटा तगादा लंड मेरी निगाहो के आगे आ गया. लंड का सुपादा ठीक मेरी आंखो के सामने था और उसका आकर्षक रुप मेरे मन को विचलित कर रहा था. उसने थोडा सा और आगे बढ़ाया तो मेरे होंठो के एकदम करीब आ गया. एक बार

तो मेरे मन में आया की मैं उसके लंड को कीस कर लूं मगर झीझक के कारण मैं उसे चूमने को पहल नहीं कर पा रही थी. वो मुस्कुरा कर बोला, “मैं तुम्हारी आंखो में देख रहा हूँ की तुम्हारे मन में जो है उसे तुम दबाने की कोशिश कर रही हो. अपनी भावनाओं को मत दबाओ, जो मन में आ रहा है, उसे पूरा कर लो.”


उसके यह कहने के बाद मैंने उसके लंड को चूमने का मन बनाया मगर एकदम से होंठ आगे ना बढ़ा कर उसे चूमने की पहल ना कर पाई. तभी उसने लंड को थोडा और आगे मेरे होंठो से ही सटा दीया, उसके लंड के देहाकते हुए सुपादे का स्पर्श होंठो का अनुभव करने के बाद मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और लंड के सुपादे को जल्दी से चूम लीया. एक बार चूम लेने के बाद तो मेरे मन की झीझक काफी कम हो गयी और मैं बार बार उसके लंड को दोनो हाथो से पकड़ कर सुपादे को चूमने लगी, एकाएक उसने सिस्कारी लेकर लंड को थोडा सा और आगे बढ़ाया तो मैंने उसे मुँह में लेने के लीये मुँह खोल दीया, और सुप्पदा मुँह में लेकर चूसने लगी.


इतना मोटा सुपादा और लंड था की मुँह में लीये रखने में मुझे परेशानी का अनुभव हो रहा था, मगर फीर भी उसे चूसने की तमन्ना ने मुझे हार मान-ने नहीं दीया और मैं कुछ देर तक उसे मज़े से चुस्ती रही. एक एक उसने कहा, “हाईई तुम इसे मुँह में लेकर चूस रही हो तो मुझे कीतना मज़ा आ रहा है, मैं तो जानता था की तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो, मगर थोडा झिझकती हो. अब तो तुम्हारी झीझक समाप्त हो गयी, क्यों है ना?”


मैं हाँ में सीर हीला कर उसकी बात का समर्थन कीया और बदस्तूर लंड को चुस्ती रही. अब मैं पूरी तरह खुल गयी थी और चुदाई का अनंद लेने का इरादा कर चुकी थी. वो मेरे मुँह में धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. मैंने अंदाजा लगा लीया की ऐसे ही धक्के वो चुदाई के समय भी लगाएगा.चुदाई के बारे में सोचने पर मेरा ध्यान अपनी चूत की ओर गया, जीसे अभी उसने निवास्त्र नहीं कीया था. जबकी मुझे चूत में भी हलकी हलकी सिहरन महसूस होने लगी थी. मैं कुछ ही देर में थकान का अनुभव करने लगी. लंड को मुँह में लेने में परेशानी का अनुभव होने लगा. मैंने उसे मुँह से निकालने का मन बनाया मगर उसका रोमांच मुझे मुँह से निकालने नहीं दे रहा था. मुँह थक गया तो मैंने उसे अंदर से तो नीकाल लीया मगर पूरी तरह से मुकत नहीं कीया. उसके सुपादे को होंठो के बीच दबाये उस पर जीभ फेरती रही. झीझक ख़त्म हो जाने के कारण मुझे ज़रा भी शर्म नहीं लग रही थी.


तभी वो बोला, “है मेरी जान, अब तो मुकत कर दो, Please नीकाल दो ना.”


वो मिन्नत करने लगा तो मुझे और भी मज़ा आने लगा और मैं प्रयास करके उसे और चूसने का प्रयत्न करने लगी. मगर थकान की अधिकता हो जाने के कारण, मैंने उसे मुँह से नीकाल दीया. उसने एक एक मुझे धक्का दे कर गीरा दीया और मेरी jeans खोलने लगा और बोला,”मुझे भी तो अपनी उस हसीं जवानी के दर्शन कर दो, जीसे देखने के लीये मैं बेताब हूँ.”


मैं समझ गयी की वो मेरी चूत को देखने के लीये बेताब था. और इस एहसास ने की अब वो मेरी चूत को नंगा करके देख लेगा साथ ही शरारत भी करेगा. मैं रोमांच से भर गयी. मगर फीर भी दिखावे के लीये मैं मना करने लगी. वो मेरी jeans को उतार चुकने के बाद मेरी पैंटी को खींचने लगा तो मैं बोली, “छोडो ना ! मुझे शर्म आ रही है.”


“लंड मुँह में लेने में शर्म नहीं आयी और अब मेरा मन बेताब हो गया है तो सिर्फ दिखाने में श रम आ रही है.” वो बोला. उसने खींच कर पैंटी को उतार दीया और मेरी चूत को नंगा कर दीया. मेरे बदन में बिजली सी भर गयी. यह एहसास ही मेरे लीये अनोखा था ई उसने मेरी चूत को नंगा कर दीया था. अब वो चूत के साथ शरारत भी करेगा.वो चूत को छूने की कोशिश करने लगा तो मैं उसे जान्घो के बीच छिपाने लगी. वो बोला, “क्यों छुपा रही हो. हाथ ही तो लगाऊंगा. अभी चूमने का मेरा इरादा नहीं है. हाँ अगर प्यारी लगी तो जरूर चूमुंगा.”


उसकी बात सुनकर मैं मन ही मन रोमांच से भर गयी. मगर मैं बोली, “तुम देख लोगे उसे, मुझे दिखाने में शर्म आ रही है. आंख बंद करके छुओगे तो बोलो.”


“ठीक है ! जैसी तुम्हारी मरजी. मैं आंख बंद कर्ता हूँ, तुम मेरा हाथ

पकड़ कर अपनी चूत पर रख देना.”


मैंने हाँ में सीर हीलाया. उसने अपनी आंख बंद कर ली तो मैं उसका हाथ

पकड़ कर बोली, “चोरी छीपे देख मत लेना, ओक, मैं तुम्हारा हाथ अपनी चूत पर रख रही हूँ.”


मैंने चूत पर उसका हाथ रख दीया. फीर अपना हाथ हटा लीया. उसके हाथ का स्पर्श चूत पर लगते ही मेरे बदन में सनसनाहट होने लगी. गुदगुदी की वजह से चूत में तनाव बढने लगा. उस पर से जब उसने चूत को छेड़ना शुरू कीया तो मेरी हालत और भी खराब हो गयी. वो पूरी चूत पर हाथ फेरने लगा. फीर जैसे ही चूत के अंदर अपनी ऊँगली घुसाने की चेष्टा की तो मेरे मुँह से सिस्कारी निकल गयी. वो चूत में ऊँगली घुसाने के बाद चूत की गहराई नापने लगा. मुझे इतना मज़ा आने लगा की मैंने चाहते हुए भी उसे नहीं रोका. उसने चूत की काफी गहराई में घुसा दी थी.


मैं लगातार सिस्कारी ले रही थी. मेरी कुंवारी और नाज़ुक चूत का कोना कोना जलने लगा. तभी उसने एक हाथ मेरी गांड के नीचे लगाया क़मर को थोडा ऊपर करके चूत को चूमना चाहा. उसने अपनी आंख खोल ली थी और होंठों को भी इस प्रकार खोल लीया था जैसे चूत को होंठो के बीच मैं दबाने का मन हो. मेरी हलकी झांतो वाली चूत को होंठों के बीच दबा कर जब उसने चोसना शुरू कीया तो मैं और भी बुरी तरह छातपाताने लगी. उसने कास कास कर मेरी चूत को चूसा और चंद ही पालो मैं चूत को इतना गरम कर डाला की मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और होंठो से कामुक सिस्कारी निकलने लगी. इसके साथ ही मैं क़मर को हीला हीला कर अपनी चूत उसके होंठों पर रगड़ने लगी.


उसने समझ लीया की उसके द्वारा चूत चूसे जाने से मैं गरम हो रही हूँ. सो उसने और भी तेज़ी से चूसना शुरू कीया साथ ही चूत के सुराख के अंदर जीभ घुसा कर गुदगुदाने लगा. अब तो मेरी हालत और भी खराब होने लगी. मैं ज़ोर से सिस्कारी ले कर बोली, “अभिजीत येस् क्या कर रहे हो. इतने ज़ोर से मेरी चूत को मत चूसो और ये तुम छेद के अंदर गुदगुदी……. ऊऊईईई….. मुझसे बर्दस्थ नहीं हो पा रहा है. Please निकालो जीभ अंदर से, मैं पागल हो जाउंगी.”


मैं उसे निकलने को जरूर कह रही थी मगर एक सच यह भी था की मुझे

बहुत मज़ा आ रहा था. चूत की गुद्गुदाहत से मेरा सारा बदन काँप रहा था. उसने तो चूत को छेद छेद कर इतना गरम कर डाला की मैं बर्दस्थ नहीं कर पाई. मेरी चूत का भीतरी हिस्सा रस से गीला हो गया. उसने कुछ देर तक चूत के अंदर तक के हिस्से को गुदगुदाने के बाद चूत को मुकत कर दीया. मैं अब एक पल भी रुकने की हालत मैं नहीं थी. जल्दी से उसके बदन से बदन से लिपट गयी और लंड को पकड़ने का प्रयास कर रही थी की उसे चूत मैं दाल लूंगी की उसने मेरी टांगो के पकड़ कर एकदम ऊंचा उठा दीया और नीचे से अपना मोटा लंड मेरी चूत के खुले हुए छेद मैं घुसाने की कोशिश की. वैसे तो चूत का दरवाज़ा आम तौर पर बंद होता था. मगर उस वक़्त क्योंकी उसने टांगो को ऊपर की ओर उठा दीया था इसलिए छेद पूरी तरह खुल गया था. रस से चूत गीली हो रही थी. जब उसने लंड का सुपादा छेद पर रख्खा तो ये भी एहसास हुआ की छेद से और भी रस निकलने लगा. मैं एक पल को तो सिसिया उठी. जब उसने चूत मैं लंड घुसाने की बजाये हल्का सा रागादा. मैं सिस्कारी लेकर बोली, “घुसाओ जल्दी से………. देर मत करो Please……………..”


उसने लंड को चूत के छेद पर अड़ा दीया. पहली बार मुझे ये एहसास हुआ की मेरी चूत का सुराख उम्मीद से ज्यादा ही छोटा है. क्योंकी लंड का सुपादा अंदर जाने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरी हालत तो ऐसी हो चुकी थी की अगर उसने लंड जल्दी अंदर नहीं कीया तो शायद मैं पागल हो जाऊं. वो अंदर डालने की कोशिश कर रहा था.मैं बोली,”क्या कर रहे हो जल्दी घुसाओ ना अंदर. ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् ऊऊम्म्म्म्म्म् अब तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. Please जल्दी से अंदर कर दो.”


वो बार बार लंड को पकड़ कर चूत मैं डालने की कोशिश कर्ता और बार बार लंड दूसरी तरफ फिसल जात. वो भी परेशान हो रहा था और मैं भी. मैं सिसियाने लगी, क्योंकी चूत के भीतरी हिस्से मैं ज़ोरदार गुदगुदी सी हो रही थी. मैं बार बार उसे अंदर करने के लीये कहे जा रही थी. वो प्रयास कर तो रहा था मगर लंड की मोटाई के कारण चूत के अंदर नहीं जा पा रहा था. तभी उसने कहा, “उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ तुम्हारी चूत का सुराख तो इस क़दर छोटा है की लंड अंदर जाने का नाम ही नहीं ले रहा है मैं क्या करूं?”


“तुम तेज़ झटके से घुसाओ अगर फीर भी अंदर नहीं जाता है तो फाड़ दो मेरी चूत को.” मैं जोश मैं आ कर बोल बैठी. मेरी बात सुनकर वो भी बहुत जोश मैं आ गया और उसने ज़ोर का धक्का मारा. एकदम जानलेवा धक्का था, भक्क से चूत के अंदर लंड का सुपादा समां गया, इसके साथ ही मेरे मुँह से चीख भी निकल गयी. चूत की ओर देखा तो पाय की बीच से फट गयी थी और ख़ून निकल रहा था. ख़ून देखने के बाद तो मेरी घबराहट और बढने लगी मगर कीसी तरह मैंने अपने आप पर काबू कीया.


उसके लंड ने चूत का थोडा सा ही सफ़र पूरा कीया था और उसी मैं मेरी हालत खराब होने लगी थी. चूत के एकदम बीचों बीच धंसा हुआ उसका लंड खतरनाक लग रहा था. मैं दर्द से कराह-हटे हुए बोली, “My god ! मेरी चूत तो सचमुच फट गयी उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ दर्द सेहन नहीं हो रहा है. अगर पूरा लंड अंदर घुसाओगे तो लगता है मेरी जान ही नीकल जायेगी.”


“नहीं यार! मैं तुम्हे मरने थोड़े ही दूंगा.” वो बोला और लंड को हिलाने लगा तो मुझे ऐसा अनुभव हुआ जैसे चूत के अंदर बवंडर मचा हुआ हो. जब मैंने कहा की थोड़ी देर रूक जाओ, उसके बाद धक्के मारना तो उसने लंड को जहाँ का तहां रोक दीया और हाथ बढ़ा कर मेरी चूची को पकड़ कर दबाने लगा. चूची मैं कठोरता पूरे शबाब पर आ गयी थी और जब उसने दबाना शुरूकिया तो मैंने चूत की ओर से कुछ रहत महसूस की. कारण मुझे चूचियों का दब्वाया जान अच्चा लग रहा था. मेरा तो यह तक दील कर रहा था की वो मेरे निप्प्ले को मुँह मैं लेकर चूसता. इससे मुझे अनंद भी आता और चूत की ओर से ध्यान भी बाँट-ता. मगर टांग उसके कंधे पर होने से उसका चेहरा मेरे निप्प्ले तक पहुंच पाना एक प्रकार से नामुमकीन ही था.


तभी वो लंड को भी हिलाने लगा. पहले धीरे धीरे उसके बाद तेज़ गति से.

चूची को भी एक हाथ से मसल रहा था. चूत मैं लंड की हलकी हलकी

सरसराहट अच्छी लगने लगी तो मुझे अनंद आने लगा. पहले धीरे और उसके

उसने धक्को की गति तेज़ कर दी. मगर लंड को ज्यादा अंदर करने का प्रयास उसने अभी नहीं कीया था. एक एक अभिजीत बोला, “तुम्हारी चूत इतनी कम्सिन और tight है की क्या कहूं?”


उसकी बात सुनकर मैं मुस्करा कर रह गयी. मैंने कहा, “मगर फीर भी तो तुमने फाड़ कर लंड घुसा ही दीया.”


“अगर नहीं घुसाता तो मेरे ख़्याल से तुम्हारे साथ मैं भी पागल हो जाता.”


मैं मुस्करा कर रह गयी.वो तेज़ी से लंड को अंदर बहार करने लगा था. अब चूत मैं दर्द अधीक तो नहीं हो रहा था हाँ हल्का हल्का सा दर्द उठ रहा था. मगर उससे मुझे कोई परेशानी नहीं थी. उसके मुकाबले मुझे मज़ा आ रहा था. कुछ देर मैं ही उसने लंड को ठेल कर काफी अंदर कर दीया था. उसके बाद भी जब और ठेल कर अंदर घुसाने लगा तो मैं बोली, “और अंदर कहां करोगे, अब तो सारा का सारा अंदर कर चुके हो. अब बाक़ी क्या रह गया है?”


“एक इंच बाक़ी रह गया है.” कहते ही उसने मुझे कुछ बोलने का मौका दीये

बग़ैर ज़ोर से झटका मार कर लंड को चूत की गहरायी मैं पहुँचा दीया.

मैं चीख कर रह गयी. उसके लंड के ज़ोरदार प्रहार से मैं मस्त हो कर रह गयी थी. ऐसा अनंद आया की लगा उसके लंड को चूत की पूरी गहरायी मैं दाखील करवा ही लूं. उसी मैं मज़ा आएगा. यह सोच कर मैंने कहा, “हाऐईईइ…… और अंदर…….. घुसाआअऊऊऊ. गहरायी मैं पहुँचा दो.”


उसने मेरी जांघों पर हाथ फेरा और लंड को ज़ोर से ठेला तो मेरी चूत से अजीब तरह की आवाज़ नीक्ली और इसके साथ ही मेरी चूत से और भी ख़ून गिरने लगा. मगर मुझे इससे भी कोई परेशानी नहीं हुई थी, बल्की यह देख कर मैं अनंद मैं आ गयी की चूत का सुराख पूरा खुल गया था और लंड सारा का सारा अंदर था. एक पल को तो मैं यह सोच कर ही रोमंचित हो गयी की उसके बम्बू जैसे लंड को मैंने अपनी चूत मैं पूरा डलवा लीया था. उस पर से जब उसने धक्के मारने लगा, तो एहसास हुआ की वाकई जो मज़ा चुदाई मैं है वो कीसी और तरीके से मौज-मस्ती करने से नहीं है.


उसका ८ इंच लंड अब मेरी चूत की गहराई को पहले से काफी अच्छी तरह नाप

रहा था. मैं पूरी तरह मस्त होकर मुँह से सिस्कारी निकालने लगी. पता

नहीं कैसे मेरे मुँह से एकदम गन्दी गन्दी बात निकलने लगी थी. जिसके बारे मैं मैंने पहले कभी सोचा तक नहीं था. फ्ह्ह्हाद्द्द्द्द….. दूऊऊओ मेरीईईइ चूऊओत्त्त्त्त्त्त् कूऊऊऊ आआह्ह्ह्ह्ह्ह् प्प्प्पीईईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊओ और्र्र्र्र्र तेज़ पेलो टुकड़े टुकड़े कर दो मेरी चूऊऊत्त्त्त्त्त्त्त् कीईईईईईईई.


एक एक मैं झड़ने के करीब पहुंच गयी तो मैंने अभिजीत को और तेज़ गति से ढके मरने को कह दीया,अब लंड मेरी छुट को पार कर मेरी बच्चेदानी से टकराने लगा था, तभी चूत मैं ऐसा संकुचन हुआ की मैंने खुद बखुद उसके लंड को ज़ोर से चूत के बीच मैं कास लीया. पूरी चूत मैं ऐसी गुद्गुदाहत होने लगी की मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे मुँह से ज़ोरदार सिस्कारी निकलने लगी. उसने लंड को रोका नहीं और धक्के मारता रहा. मेरी हालत जब कुछ अधीक खराब होने लगी तो मेरी रुलायी चुत नीक्ली.


कुछ देर तक वो मेरी चूत मैं ही लंड डाले मेरे ऊपर पड़ा रहा. मैं आराम से कुछ देर तक सांस लेटी रही. फीर जब मैंने उसकी ओर ध्यान दीया तो पाय की उसका मोटा लंड चूत की गहराई मैं वैसे का वैसा ही खड़ा और अकादा हुआ पड़ा था. मुझे नॉर्मल देखकर उसने कहा, “कहो तो अब मैं फीर से धक्के मारने शुरू करूं.”


“मारो, मैं देखती हूँ की मैं बर्दाश्त कर पाती हूँ या नहीं.”


उसने दुबारा जब धक्के मारने स्टार्ट कीए तो मुझे अग जैसे मेरी चूत मैं कांटे उग आये हो, मैं उसके धक्के झेल नहीं पाई और उसे मना कर दीया. मेरे बहुत कहने पर उसने लंड बहार निकलना स्वीकार कर लीया. जब उसने बहार निकाला तो मैंने रहत की सांस ली. उसने मेरी टांगो को अपने

कंधे से उतार दीया और मुझे दूसरी तरफ घुमाने लगा तो पहले तो मैं

समझ नहीं पाई की वो करना क्या चाहता है. मगर जब उसने मेरी गांड को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसमें लंड घुसाने के लीये मुझे आगे की ओर झुकाने लगा तो मैं उसका मतलब समझ कर रोमांच से भर गयी.


मैंने खुद ही अपनी गांड को ऊपर कर लीया और कोशिश करी की गांड का छेद

खुल जाये. उसने लंड को मेरी गांड के छेद पर रख्खा और अंदर करने के लीये हल्का सा दबाव ही दीया था की मैं सिसकी लेकर बोली, “थूक लगा कर घुसाओ.”

उसने मेरी गांड पर थूक चुपड़ दीया और लंड को गांड पर रखकर अंदर डालने लगा. मैं बड़ी मुश्कील से उसे झेल रही थी. दर्द महसूस हो रहा था. कुछ देर मैं ही उसने थोडा सा लंड अंदर करने मैं सफलता प्राप्त कर ली थी. फीर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, तो लंड मेरी गांड के अंदर रगड़ खाने लगा

तभी उसने अपेख्शाकरत तेज़ गाती से लंड को अंदर कर दीया, मैं इस हमले के

लीये तैयार नहीं थी, इसलिए आगे की ओर गिरते बची. सात की पुष्ट को सख्ती

से पकड़ लीया था मैंने. अगर नहीं पकद्ती तो जरूर ही गिर जाती. मगर इस

झटके का एक फायदा यह हुआ की लंड आधा के करीब मेरी गांड मैं धंस गया था. मेरे मुँह से दर्द भरी सिस्कारियां निकलने लगी ….. फट गयी मेरी गाआआअन्न्न्न्न्द्द्द्द्द्…… हाआआऐईईईईईइ ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…….. उसने अपना लंड जहाँ का तहां रोक कर धीरे धीरे धक्के लगाने स्टार्ट कीए. मुझे अभी अनंद ही आना शुरू हुआ था की तभी वो तेज़ तेज़ झटके मारता हुआ काँपने लगा, लंड का सुपादा मेरी गांड मैं फूल पिचक रहा था, आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेर्र्र्र्रीईईईईई जाआअन्न्न्न्न्न्न्न्न् म्म्म्म्म्म्म्म्म आआआआआअ कहता हुआ वो मेरी गांड मैं ही झाड़ गया. मैंने महसूस कीया की मेरी गांड मैं उसका गाढ़ा और गरम वीर्य टपक रहा था.

उसने मेरी पीठ को कुछ देर तक चूमा और अपने लंड को झटके देता रहा. उसके बाद पूरी तरह शांत हो गया. मैं पूरी तरह गांड मरवाने का अनंद भी नहीं ले पाई थी. एक प्रकार से मुझे अनंद आना शुरू ही हुआ था. उसने लंड नीकाल लीया. मैं कपडे पहनते हुए बोली, “तुम बहुत बदमाश हो. शादी से पहले ही सब कुछ कर डाला.”


“वो मुस्कुराने लगा. बोला, “क्या कर्ता, तुम्हारी कम्सिन जवानी को देख कर दील पर काबू रखना मुश्कील हो रहा था. कयी दीनो से चोदने का मन था, आज अच्च्चा मौका था तो छोड़ने का मन नहीं हुआ. वैसे तुम इमानदारी से बताओ की तुम्हे मज़ा आया या नहीं?”


उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गयी और चुपचाप अपने कपडे पहनती रही. मैं मुस्करा भी रही थी. वो मेरे बदन से लिपट कर बोला, “बोलो ना ! मज़ा आया?”


“हाँ” मैंने हौले से कह दीया.


“तो फीर एक काम करो, मेरा मन नहीं भरा है. तुम कार अपने ड्राइवर को दे दो और उसे कह दो की तुम अपनी एक सहेली के घर जा रही हो. रात भर उसके घर मैं ही रहोगी. फीर हम दोनो रात भर मौज मस्ती करेंगे.”


मैं उसकी बात सुनकर मुस्करा कर रह गयी. बोली, “दोनो तरफ का बाजा बजा

चुके हो फीर भी मन नहीं भरा तुम्हारा?”


“नहीं ! बल्की अब तो और ज्यादा मन बेचैन हो गया है. पहले तो मैंने इसका

स्वाद नहीं लीया था, इसीलिये मालूम नहीं था की चूत और गांड चोदने मैं कैसा मज़ा आता है. एक बार चोदने के बाद और चोदने का मन कर रहा है. और मुझे यकीन है की तुम्हारा भी मन कर रहा होगा.”


“नहीं मेरा मन नहीं कर रहा है”


“तुम झूठ बोल रही हो. दील पर हाथ रख कर कहो”



मैंने दील की झूठी क़सम नहीं खाई. सच कह दीया की वाकई मेरा मन नहीं भरा है. मेरी बात सुना-ने के बाद वो और भी जिद्द करने लगा. कहने लगा की Please मान जाओ ना ! बड़ा मज़ा आएगा. सारी रात रंगीन हो जायेगी.”


मैं सोचने लगी. वैसे तो मैं रात को अपनी सहेलियों के पास कयी बार रूक चुकी थी मगर उसके लीये मैं मम्मी को पहले से ही बता देती थी. इस प्रकार आइं मौक़े पर मैंने कभी रात भर बहार रहने का प्रोग्रॅम नहीं बनाया था. सोचते सोचते ही मैंने एक एक प्रोग्रॅम बाना लीया. मगर बोली, “सवाल यह है की हम लोग रात भर रहेंगे कहां? होटल मैं?”


“होटल मैं रहना मुश्कील है. खतरा भी है. क्योंकी तुम अभी कम्सिन हो. मेरे दोस्त अजय का एक बंग्लोव खाली है. मैं उसे फ़ोन कर दूंगा तो वो हमारे पहुँचने से पहले सफाई वगेरह करवा देगा.”


उसकी बात मुझे पसंद तो आ रही थी मगर दील गवारा नहीं कर रहा था. एका एक उसने मेरे हाथ मैं अपना लंड पकडा दीया और बोला, “घर के बारे मैं नहीं, इसके बारे मैं सोचो. यह तुम्हारी चूत और गांड का दीवाना है. और तुम्हारी चूत मारने को उतावला हो रहा है.”


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